1.तिरिछ पाठ का सारांश लिखें
तिरिछ कहानी में पिता का आधार लेकर पुरानी पीढ़ी के संस्कारों व विश्वासों को बड़े बारीकी से उभारा गया है पिता प्रातः भ्रमण पर गये थे। उन्हें तिरिछ काट लेता है । तिरिछ के बारे में यह मान्यता है कि वह रात को अपने मूत्र में स्नान कर लेता है उसके बाद आदमी का बचना कठिन हो जाता है । पर यदि वह तिरिछ उसी समय मार दिया जाता है तो उसका भीषण प्रभाव कम हो जाता है । यह भी प्रचलित है कि जो व्यक्ति तिरिछ को मारता है उसका चित्र उसकी ( तिरिछ ) आँखों में उभर आता है और तिरिछ का परिवार उसका बदला लेता है । तिरिछ कितना भयंकर है यह एक तथ्य है पर सत्य यह है कि आजकल संवेदना शून्य उच्छृखल, उद्दण्ड नगर का जीवन उसका कई गुना खतरनाक है । विशेषकर उस व्यक्ति के लिए जो सरल संकोची व अनासक्त होता है । तिरिछ एक जन्तु है विषैला भी है पर शहरी जीवन क्या कम विष भरा है। यह तिरिछ कहानीकार के स्वप्न में बार बार आता है। उसे आतंकित भी करता है । उसके बारे में कई मान्यताएँ हैं वह तभी काटता है जब कोई उससे आँखें मिलाता है । कहा जाता है तिरिछ को देखते ही उससे आँखें हटा लेनी चाहिए आँखें मिलीं , वह दौड़ा और वह उसको फिर नहीं छोड़ सकता । यहाँ यह भी ध्वनित है , हम अपनी मान्यताओं से डरे बंधे हैं कि विज्ञान का भी महत्व स्वीकार नहीं करते हैं। यह भी मान्यता है कि अगर उसको मार दिया जाये तो रात में चन्द्रमा की किरणें उसको जीवित कर देती हैं। पिताजी ने यद्यपि उस तिरिछ को मार दिया था किन्तु पिताजी का परम्परागत ढंग से उपचार चलता रहा । उसी दिन पिताजी को शहर जाना था एक पेशी थी अदालत में सड़क पर गाँव का एक ट्रेक्टर शहर जा रहा था वे उसमें बैठ गये । वहाँ यह भेद खुल गया कि उन्हें तिरिछ ने काट लिया है। वहाँ उपस्थित पंडित रामऔतार भी थे, उन्होंने बताया कि कभी – कभी तिरिछ का प्रभाव 24 घण्टे बाद भी होता है रामऔतार वैद्य भी थे । बोले चरक सूत्र में विष ही विष की औषधि है । धतूरे के बीज से तिरिछ का विष काटा जा सकता है । वे मिले और उनके माध्यम से पिता जी का उपचार भी हो गया उधर कथाकार को यह पता लगा कि तिरिछ का शव वहीं पड़ा होगा और उसकी आँखों में पिता जी का अक्स उतर आया होगा । पिताजी को चाहिए था कि उसकी आँखें कुचल देते । लेखक अपने सखा थाने के साथ एक बोतल मिट्टी का तेल , दियासलाई और डंडा लेकर जंगल में गया । थोड़ा ढूँढ़ा और तिरिछ का शव मिल गया वह चित्त पड़ा हुआ था। उसको जला दिया गया । शहर में पिताजी का सिर घूमने लगा । उसके बाद शहर में उनको अमानवीय व्यवहार झेलना पड़ा , पत्थर खाने पड़े और वे चल बसे । यहाँ एक चित्र देना पर्याप्त रहेगा । लड़के ने बताया कि लड़के उन्हें बीच – बीच में ढेला मार रहे थे। यह वृद्ध व्यक्ति के प्रति उपेक्षा , तिरस्कार , अपमान अन्याय और घृणा का परिचायक है । साथ ही हिंसक और आतंकी प्रकृति का भी पोषक है । कहानी की घटनाएँ प्रतीकात्मक हैं अत उनको पूर्ण विश्वसनीय मानना सहज सम्भव नहीं है , पर यहाँ आत्मीयता चुक गयी है मानवीय मूल्य मिट गये हैं। यही ध्वनित होता है
2. लेखक के पिता के चरित्र का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर- पिताजी भी सहज , सरल , . संकोची और अन्तर्मुखी व्यक्ति थे । वह कम बोलते थे तथा गम्भीर थे । यह गम्भीरता उन्हें एक रहस्यमय व्यक्ति बना देती थी । नगर में सा लगता था । यही कारण था कि वे शहर जाने से कतराया करते थे भले ही वे सहज , सरल , गम्भीर और गवईपन में लिपटे हुए थे फिर भी अपनी सन्तान हेतु वे अभ्यारण्य थे । कहानी में उनका व्यक्तित्व लाचार और दयनीय देता है। यह भी उनके स्वभाव का ही प्रतिफल है । उन्हें यह पता ही नहीं था कि सहजता सरलता आज की स्थितियों में भूषण नहीं , दूषण है । उनके प्रतिरोध करने की शक्ति में अदावत थी ही, साथ ही अपने को उजागर करने की क्षमता का भी सर्वथा अभाव था वह जब स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया में थे उस समय उन्हें अपमानित किया गया मारा क्या वह उस समय अपना खुलासा नहीं कर सकते थे और यथार्थ को स्पष्ट नहीं कर सकते थे । वस्तुत वे एक ऐसे पात्र हैं जिनके माध्यम से कहानीकार ने समाज,बुद्धिजीवी व्यवस्था ,न्याय आदि की कलई खोल दी
3.तिरिछ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आपको रोक नहीं पाता था। यहाँ परिचित आँखों से क्या आशय है
उत्तर – परिचित आँखें वे आँखें हैं जो व्यक्ति के विषय में पर्याप्त जानती हैं जिससे वे देख रही हैं । यह बात अलग है कि उनका शत्रु भाव है या मित्र भाव । तिरिछ लेखक के सपने में आता था और उसको देखता था ( परिचित आँखों से ) उसकी आँखों में जो चमक थी वह व्यंजित करती थी कि उसका लेखक के प्रति शत्रु भाव ही है । वह लेखक के विषय में अन्तः बाह्य पूर्णत परिचित है । यह एक मान्यता के आधार पर स्पष्ट हो सकता है। तिरिछ के विषय में यह मान्यता है कि तिरिछ काटने को तभी दौड़ता है जब उससे नजर मिल जाती है अत उससे कभी आँखें नहीं मिलानी चाहिए। वह आँख मिलते ही पीछे लग जाता है । अतः लेखक को चाहिए कि उससे आँखें नहीं मिलानी चाहिए।
4. तिरिछ को जलाने गये लेखक को पूरा जंगल परिचित लगता है
उत्तर – कहानीकार थान के साथ तिरिछ की लाश को जलाने जाता है। उस समय उसको महसूस होता है कि वह उस जंगल को भली प्रकार जानता है। कई बार तिरिछ ने स्वप्न में उसका पीछा किया था और वह उससे बचने हेतु भागा था । लेखक चारों ओर देखता है और सोचता है यह वही जगह है । उसने थानू को यह भी बताया था कि एक सँकरा . सा नाला उस जगह से कितनी दूर दक्षिण की तरफ बहता है ! नाले के ऊपर जहाँ बड़ी बड़ी चट्टानें हैं वहीं एक पुराना पेड़ है जिस पर शहद के छत्ते हैं लगता है वे शताब्दियों पुराने हैं । यहाँ एक भूरे रंग की चट्टान भी है । वह बरसाती पानी में डूबी रहती है और बारिश के बाद जब बाहर आती है उसकी खोह में कीचड़ भर जाता है । चट्टान के ऊपर हरी काई की एक परत सी जम जाती है । उस चट्टान की सबसे ऊपर वाली दरार में तिरिछ रहता था। पर थानू इसे मात्र कल्पना मान रहा था क्योंकि स्वप्न दृश्य इतना प्रभावी नहीं हो सकता है।