1.खोखा किन मामलों में अपवाद था?
उत्तर:-सेन साहब को पाँच पुत्रियाँ थीं। पुत्र का आविर्भाव तब हुआ जब संतान की कोई उम्मीद बाकी नहीं रह गई थी। अर्थात् सेन साहब को पुत्र तब नसीब हुआ जब पति-पत्नी दोनों बुढ़ापे के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुके थे । इसलिए खोखा जीवन के नियमों के अपवाद के साथ-साथ घर के नियमों का भी अपवाद था।
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2.भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है?
उत्तर:-पराधीनता के कारण भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी हुई है। विदेशी होने के कारण लोगों को अपने शासक के आदेशों का पालन करना पड़ता था। इसलिए विदेशी सरकार के हर जुल्म अन्याय तथा शोषण को उन्हें चुपचाप सहन करना पड़ता है। देश की संप्रभुता नष्ट होने के कारण सारे साधनों पर उनका अधिकार है। वे उसी की म्जी से किसी साधनों का उपयोग कर सकते हैं अथवा नहीं । जमीन-जायदाद, शिक्षा-संस्कृति तथा कल -कारखाने सब कुछ उनके अधीन हैं, इसलिए लोग अपने घर में भी बेगाना है।
3.रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था?
उत्तर:- रंगप्पा मंगम्मा गाँव का ही शौकीन मिजाज जुआड़ी था वह मंगम्मा से कर्ज मागता था। साथ ही, वह मंगम्मा के साथ अवैध संबंध स्थापित करना चाहता इसीलिए जब मंगम्मा दही बेचने शहर जा रही थी, उसने अमराई में कुऑं के पास उसका हारथ उसके घर वाले से भी ज्यादा हक के साथ पंकड़ लिया था, जिस कारण मंगम्मों को कहना पड़ा क्या बात है, रंगप्पा ! आज बड़े रंग में हो। मेरा अच्छापन देखने को तुम मेरे घरवाले हो क्या ?’* मंगम्मा के पास कुछ पैसे थे, जिसे रंगप्पा किसी प्रकार प्राप्त कर लेना चाहंता था
4.लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों?
उत्तर:- लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते हैं, क्योंकि गाँवों में ही भारत की आत्मा निवास करती है, जहाँ कलकत्ता, बम्बई, मद्रास तथा अन्य शहरों जैसी बनावटी चमक दमक नहीं मिलती, बल्कि वहाँ जीवन की सादगी, त्याग, प्रेम, उत्कृष्टतम पारस्परिक संबंध आदि देखने को मिलते हैं। की आवश्यकता किनके लिए
5.कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहता है ?
उत्तर:-कवि अपने को ईश्वर का जलपात्र और मदिरा इसलिए मानता है, क्योंकि ईश्वर रूपी जल मानव रूपी पात्र में निवास करता है। मनुष्य ही उस जल को शुद्ध एवं सुरक्षित रखता है। यदि मनुष्य उस जल की विशेषता का गुणगान नहीं करेगा अर्थात् उस जल का पान नहीं करेगा तो आखिर कौन करेगा ? मदिरा कहने का उद्देश्य यह है कि भगवान भक्त की प्रेमपूर्ण भव्ति से उसी प्रकार मस्त हो जाते हैं जैसे मदिरा का पान कर कोई सुध-बुध खो बैठता है। अतः: कवि ने अपने को जलपात्र और मदिरा दोनों माना है
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6.सीता अपने ही घर में क्यों घुटन महसूस करती है ?
उत्तर:- सीता अपने ही घर में इसलिए घुटन महसूस करती है, क्योंकि परिवार का माहौल ठीक नहीं है । भरा-पूरा घर है । बटे- बहुएँ हैं, पोते-पोतियाँ हैं, लेकिन किसी में तालमेल नहीं है परिवार की ऐसी स्थिति देख उसका मन भर जाता है। वह ऑँखें पोछकर आकाश की ओर देखने लगती है । उसे लगता है कि जैसे पृथ्वी और आकाश के बीच घुटन भरी हुई है, वैसी घुटन उसके हृदय में भरी हुई है, क्योंकि वहं घर में उपेक्षित है । खाने को रोटी तो मिल जाती है, लेकिन माँ कि प्रति बेटे का जो दायित्व होना चाहिए वह नहीं दिखता।
7.देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता कैसे आई है ?
उत्तर:- दो सदी पहले जब सर्वप्रथम इस लिपि के टाइप तैयार हुए और इसमें पुस्तके छपने लगीं, तब देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता आई।
8.परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ?
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उत्तर:-पंरपरा का ज्ञान उन लोगों के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है जो सारी रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य की रचना करना चाहते हैं अथवा साहित्य में एक नयी
परम्परा आरंभ करना चाहते हैं। तात्पर्य यह कि जो लोग समाज में बुनियादी परिवर्तन करके वर्गहीन शोषणमुक्त समाज की स्थापना करना चाहते हैं, ऐसे लोगों के लिए परंपरा
का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
9.नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँं किनके सम्पर्क में आए?
उत्तर:-नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज निर्मला जी के स्कूल हिन्दुस्तानी डांस म्यूजिक से जुड़े, जहाँ वे कपिलाजी, लीला कृपलानी आदि के संपर्क में आए। वहीं कपिलाजी एवं लीला जी की हायर ट्रेनिंग होती थी, तबले के वे बोल जिन पर नर्तक नाचता और ताल देता है, उन्हें कर लेते थे।
10.कवि अगले जीवन में क्या -क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है। और क्यों ?
उत्तर:-कवि अगले जीवन में मनुष्य, अबाबील, कौआ तथा हंस बनने की संभावना प्रकट करता है। कवि की ऐसी इच्छा इसलिए है क्योंकि मनुष्य बनने पर धान की लहलहाती फसल के सौन्दर्य का वर्णन कर बंगाल की संपन्नता प्रकट करेगा । अबाबील बनने पर अपनी मधुर आवाज से वातावरण को मधुमय बना देगा। कौआ बनने पर पेड़ की डालियों पर झुला झुलते हुए कॉव-कॉव की आवाज से लोगों को जगाकर कर्मपथ पर बढ़ने के प्रेरित करेगा तथा हंस बनने पर न्याय- अन्याय में भेद करना सिखाएगा