1.गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे मानते हैं ?
उत्तर:- गॉधीजी के अनुसार अहिंसक प्रतिरोध सबसे उदात्त और बढ़िया शिक्षा है । ऐसी शिक्षा, जिससे बालक जीवन-संग्रम में प्रेम से घृणा को, सत्य से असत्य को तथा कष्ट-सहन से हिसा को आसानी से जीतना सीखें, वही बढ़िया शिक्षा है।
2.बेटे के ऑँसू कब आते हैं और क्यों?
उत्तर:-बेटे के आँसु तब आते हैं जब माँ-बेटे अर्थात् ‘ड’ का सही उच्चारण नहीं कर पाता है। तात्पर्य कि जब व्यक्ति जीवन की कठिनाइयों से ऊब जाता है, उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति में संदेह जान पड़ता है, तब उद्विग्नतावश ऑँखों में आँसू आ जाते हैं। अथवा ऐसे कहें कि निराशा की स्थिति उत्पन्न होने के कारण आँसू आ जाते हैं।
3.डुमरॉव की महत्ता किस कारण से है ?
उत्तर:- विश्व प्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद विस्मिल्लाह खाँ का जन्म- स्थान डुमराँव था। इसी कारण ड्रमरॉव की महत्ता है। साथ ही, शहनाई में प्रयुक्त होनेवाली रीड या नरकट (एक प्रकार का गन्ना-सा पौथा, जो खोखला होता है) ड्मरॉव में रोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमरॉव के ही निवासी थे।
4.कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था।
उत्तर:- कवि को वृक्ष बुढ़ा चौकीदार इसलिए लगता था, क्योंकि वह हर क्षण सीना ताने दरवाजे पर तैनात रहता था। जिस प्रकार चौकीदार घर की सुरक्षा में दरवाजे पर खड़ा रहता है, उसी प्रकार वह वृक्ष कवि के दरवाजे पर सदा लहराता रहता था, जो इस बार लौटने पर नहीं था
5.शिक्षा का अभिप्राय गाँधीजी क्या मानते हैं?
उत्तर:-शिक्षा का अभिप्राय गाँधीजी बच्चों के शरीर, बुद्धि और आत्मा में सभी उत्तम गुणों को प्रकट करना मानते हैं। पढ़ना-लिखना शिक्षा का एक साधन है । गाँधीजी
वैसी शिक्षा को उपयोगी शिक्षा मानते हैं जिससे जीवन-जीने अर्थात् उत्पादन का काम करने का ज्ञान मिलता है।
6.भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है ?
उत्तर:-पराधीनता के कारण भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी हई है। विदेशी होने के कारण लोगों को अपने शासक के आदेशों का पालन करना पड़ता था। इसलिए विदेशी सरकार के हर जुल्म अन्याय तथा शोषण को उन्हें चुपचाप सहन करना पड़ता है। देश की संप्रभूता नष्ट होने के कारण सारे साधनों पर उनका अधिकार है। वे उसी की मर्जी से किसी साधनों का उपयोग कर सकते हैं अथवा नहीं। जमीन-जायदाद, शिक्षा-संस्कृति तथा कल-कारखाने सब कुछ उनके अधीन हैं, इसलिए लोग अपने घर में भी बेगाना हैं।
7.जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:- जातिवाद के पोषकों का कहना है कि कर्म के अनुसार जाति का विभाजन हुआ था। इस विभाजन से लोगों में वंशगत व्यवसाय में निपूणता आती है अर्थात् कार्यकृशलता में वृद्धि होती है। आधुनिक सभ्य समाज कार्य-कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानते हैं, जबकि जाति- प्रथा भी श्रमविभाजन का ही एक
रूप है।
8.बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?
उत्तर:- बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को यह याद दिलाती है कि जब मनुष्य वनमानुष जैसा जंगली था, तब उसे अपनी जीवन-रक्षा के लिए नाखूनों की जरूरत थी और शत्रुओं से वे अपनी रक्षा नाखुनों द्वारा ही करते थे। अतः प्रकृति मनुष्य को आदिमानव रूप की याद दिलाती है
9.शिक्षा का ध्यय गाँधीजी क्या मानते थे और क्यों ?
उत्तर:- गाँधीजी चरित्र-निर्माण को शिक्षा का ध्येय मानते थे। उनका मानना था कि चरित्रनिष्ठ व्यक्ति ही समाज को नई दिशा दे सकता है । इसके लिए सर्वप्रथम साहस, बल सदाचार तथा आत्मोत्सर्ग की भावना का विकास करना आवश्यक है । किताबी ज्ञान तो उस बड़े उद्देश्य का एक साधनमात्र है । गाँधीजी का कहना था कि बिना चीरत्रनिर्माण के बच्चे त्याग, सहानुभूति, प्रेम, सदाचार के मूल्य को नहीं समझ पाएँगे। इसलिए चरित्र-निर्माण की शिक्षा आवश्यक है। जब व्यक्ति इसका मूल्य या महत्त्व रामझ जाएगा, समाज अपना काम स्वय संभाल लेगा और वैसे व्यवितयों के हाथों सामाजिक संगठन का दायित्व आ जाएगा
10.मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं ?
उत्तर:-मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा शहर में पड़ी हुई है जहाँ अमेरिका ने बम बरसाकर अपनी क्रूरता का परिचय दिया था। मनुष्य की छायाएँ इसलिए पड़ी हुई हैं क्योकि विनाशक तत्व की प्रचंड गर्मी एवं तेज में मानव-शरीर मोम के समान पघल कर भाप बन गया, जिसकी छाया पत्थवरों एवं सीमेंट निर्मित धरातल पर बन गई । यह वैज्ञानिक सच है कि जब कोई पदार्थ द्रव रूप में परिवर्तित होता है तब वहाँ उसकी आकृति छाया के समान बन जाती है जो अवशेष के रूप में दीर्घकाल तक उस घटना के बारे में सबूत पेश करती है।