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12th Hindi Subjective Question Part-12| गांव का घर पाठ का सारांश लिखें| vvi hindi subjective question

1.गांव का घर पाठ का सारांश लिखें

गांव का घर शीर्षक कविता के रचयिता आधुनिक हिंदी के कवि ज्ञानेन्द्रपति हैं। इस कविता में कवी ग्रामीण परिवेश में आये बदलाव जो सकारात्मक नहीं नकारात्मक है को बहुत अच्छे ढंग से वर्णन किया है। कवी कहते है कि गांव का घर बॉ-बल्ले और मिट्टी से बना हुआ होता है। उस घर से हम जुड़े रहते हैं। घर के अंदर आने से पहले चौखट पर ही बड़े-बूढ़े खांसकर आवाज देते थे। बुर्जुगों के खड़ाऊँ की आवाज से सभी सटक जाते थे। चौखट से पहले ही ये अभिभावक खड़े रहते थे वहां कोई पर्दा नहीं था एक अदृश्य परदा ही परदे का काम करता था वे किसी का नाम लिए बिना ही पुकारते थे अभिभवक की अंगुली के इशारे पर ही सारघर नाचता था ,सरे काम- काज होते है शंख के चिन्ह की तरह गांव के घर के चौखट होते थे चौखट के बगल में गेरू से पुती हुई दीवाल होती थी दूधवाले ने कितने दिन दूध दिय उसके निशान लगा दिय जाते है बचपन में कवि ने यह दृश्य देखा था। गांव का वह घर अब अपनी शक्त बदल चूका है। अब लगता है वह अपना गांव है ही नहीं पचायती राज का शासन आया। पांचों की ईमानदारी अब नहीं रहीं। वे पांच परमेश्वर नहीं रहे। गांव की घरों में बिजली बत्ती लगा गयी है बल्ब की रौशनी रहने की जगह बुझी ही रहती है बेटों के दहेज में दूरदर्शन की मांग करते है। लालटेन खूटी पर लटकी दिखाई देती है। रातें अब उजाले अधिक अँधेरा ही उगलती है। कहीं बहुत दूर चकाचौंध रोशनी में आर्केस्ट्रा वाद्य यंत्र बजते दिखी सुनाई पड़ते हैं। आवाज उन वाघ यंत्रों की टिक से सुनाई नहीं पड़ती उनकी रौशनी भी झिल-मिलती दिखाई पड़ती है। लोकगीत, विरहा, होरी चैता आल्हा अब नहीं सुनाई पड़ते। सर्कस का प्रकाश जो गांव वालों को लव रात्रि में भेजता था अब नहीं पड़ता है लगता है सर्कस कब का मर चूका है ऐसा लगता है जैसे हाथियों के दाँत गिर गए हो। सर्कस कब का मर चूका है। ऐसा लगता है जैसे हाथियों के दन्त गिर गए हों।एक अनगाया शोर गीत कवि की जन्म
2. नागरिक क्यों व्यस्त हैं क्या उनकी व्यस्तता जायज है
उत्तर – नगर में विजय पर्व मनाया जा रहा है , सारे नागरिक उसमें व्यस्त हैं। यह व्यस्तता जायज नहीं है क्योंकि उन्हें विजय का विवरण ही प्राप्त नहीं है – यह विजय
किसकी मानी जायेगी – राजा , सेना या प्रजा यहाँ मात्र आदेश का पालन हो रहा है कि उत्सव मनाओ।

3.किसकी विजय हुई सेना की , कि नागरिकों की कवि ने यह प्रश्न क्यों खड़ा किया है यह विजय किनकी है आप क्या सोचते हैं बताएँ ।
उत्तर- यह प्रश्न युद्ध के सन्दर्भ में हमेशा खड़ा रहा है लड़ाता कौन है लड़ता कौन है विजयी कौन होता है लड़ाता है स्वार्थ नंगा स्वार्थ , लड़ती है सेना और विजयी होती है सत्ता , पर नागरिक को बताया जाता है – हमारे देश की विजय हुई है । हर युद्ध के पीछे घोर स्वार्थ, अधिकारों की लिप्सा होती है- पर यह सारा खेल राष्ट्र के सम्मान के नाम पर होता है और जनता यह नहीं जान पाती अत यह प्रश्न अनुचारित है कौन जीता है – जीतती सेना है , फल भोगता शासक है , जनता तो खुश हो लेती है और इस विजय को अपनी ही जीत मान बैठती है यह विजय भले ही सेना की है, पर वास्तविक विजय सत्तापक्ष की है।
4.खेत रहने वालों की सूची अप्रकाशित है। इस पंक्ति के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है कविता में इस पंक्ति की क्या सार्थकता है बताइए ।
उत्तर – युद्ध में मरना आवश्यक है । यदि उनकी सूची प्रकाशित कर दी जायेगी तो सारा देश जान जायेगा कि इतने नागरिक इतने सैनिक हताहत हो गये हैं । यह स्थिति
जनआक्रोश भी उभार सकती है और सत्ता की मानसिकता भी इसके पीछे छिपी है। वह सेना को मरवाकर विजय पाता है
5. बूढा मशकवाला क्या कहता है और क्यों कहता है
उत्तर – बूढ़ा मशकवाला सड़कों को सींचते समय कह रहा है हम एक बार फिर हार गये हैं और गाजे – बाजे के साथ जीत नहीं हार लौट रही है। उसका यह कथन सार्थक है , जब यही पता नहीं कि जीत किसकी हुई है – सेना की , शासक की अथवा नागरिकों की साथ ही यह भी नहीं पता कि कितनी सेना लौट रही है कितनी मारी जा चुकी है यहाँ यह ध्वनित है , प्रजा को भरमाया जा रहा है , बुद्धि जीवी भी भ्रमित हैं पर एक आम आदमी सही सोचता है क्योंकि वही सारी स्थितियाँ भोगता है। अत उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है
6. बूढ़ा मशकवाला किस जिम्मेदारी से मुक्त है सोचिये अगर यह जिम्मेदारी उसे मिलती तो क्या होता है
उत्तर-उस पर मात्र सड़क सींचने की जिम्मेदारी है और सत्य बोलने की जिम्मेदारी से वह मुक्त है । वह फिर भी सच ही बोल रहा है पर यह उसकी जिम्मेदारी नहीं है । यह उसकी अंतरात्मा की पुकार है ।

7.जिन पर है वे सेना के साथ ही जीत कर लौट रहे हैं । जिन किनके लिए आया है वे सेना के साथ कहाँ से आ रहे हैं, वे सेना के साथ क्यों थे, वे क्या जीतकर लौटे हैं बताएँ।
उत्तर -यहाँ । जिन शब्द शासक सत्ताधारी पक्ष के लिए ही आया है । वे सेना के साथ रणक्षेत्र से लौट रहे हैं सेना उनके साथ थी उनके शत्रु पर विजय पाने हेतु । सत्ताधारी रण में विजयी होकर आ रहे हैं ऐसा बताया जा रहा है यहाँ उनका शासक वर्ग का अहम्

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