16 February Social Science Viral Question Paper:
1.राजनीतिक दल को ‘लोकतंत्र का प्राण’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:-यह कहना पूर्णतः सही है कि राजनीतिक दल ‘लोकतंत्र का प्राण है। यदि राजनीतिक दल नहीं रहें तो लोकतंत्र का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा। देश की जनसख्यां अरबों में है और व्यकि्त-व्यक्ति सरकार में हिस्सेदारी नहीं कर सकता । इसी को आसान बनाने के लिए एक खास जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि को निरवाचित करने की व्यवस्था है। ये प्रतिनिधि किसी- न-किसी राजनीतिक दल के ही सदस्य होते हैं । यदि ये सभी सदस्य निर्दलीय हों तो सरकार का गठन कठिन हो जाएंगा । अतः जहाँ लोकतंत्र है, वहाँ राजनीतिक दलों की उपस्थिति होगी हीं, इसमें दो मत नहीं है । राजनीतिक दल ही जनता का समर्थन प्राप्त कर लोकसभा या विधानसभा में बहुमत बनाते और सरकार का गठन करते हैं । ये सारे काम राजनीतिक दल ही करते हैं । जिस राजनीतिक दल या दलों को बहुमत प्राप्त नहीं होता, वे विरोधी दल का काम करते हैं। और सरकार को मानमानी करने से रोकते हैं। लोकमत का निर्माण करना भी राजनीतिक दलों का काम है। वे गाँव-गाँव में जाते हैं तथा छोटी-बड़ी सभाओं द्वारा जनता से सम्पर्क बनाते हैं, उनमें अपने कार्यत्क्रमों की चर्चा करते हैं और उसकी खुबियों को बताते हैं । इसके विपरीत अन्य दलों की खामियों का भी खुलासा करते हैं और उन पार्टियों को आपनी पार्टी से हीन साबित करते हैं ताकि जनता उनकी पार्टी की ओर आकर्षित हो सके। राजनीतिक दलों का एक मुख्य काम है सरकार एवं जनता के बीच मध्यस्थता करना। जनता की बातों को सरकार तक पहुँचाते हैं और सरकार की बातों या कार्यक्रमों से जनता को अवगत कराते हैं । इस प्रकार ये जनता और सरकार के बीच पुल का काम करते हैं
2.क्या ‘आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है ?* स्पष्ट करें।
उत्तर:-आतंकवाद विदेशी समस्या है, आतंकवादी किसी देश से जाकर किसी भी देश को तबाह कर देते हैं। आतंकवाद से आज पूरा विश्व परेशान है। सबसे मजबूत लोकतांत्रिक देश अमेरिका, जो अपने धन-बल और अस्त्र बल के चलते पूरे विश्व को अपनी अंगुलियों पर नचाता है, वह भी आतंकवाद के चपेट में आ चृका है और कब आतंकवादी उस पर कहाँ वार कर दें कोई ठिकाना नहीं । भारत तो पाकिस्तानी आतंकियों के निशाने पर है जबकि स्वयं पाकिस्तान भी लादेन के आदमियों से परेशान है। आतंकवादी हमले से कृछ गिनती के देश ही बचे हैं, वरना पूरा विश्व इससे आक्रांत है। पूर्वी आअफगानी आतंकियों से पाकिस्तान परेशान है और पाकिस्तानी आतीकियों से भारत परेशान है। विश्व जानता है कि पाकिस्तान आतंकियों का उत्पादक देश है। आतंकवाद से भी भयावह अलगाववाद है। भारत के पूर्वोत्तर भाग के कुछ राज्यों के नवयुवक गुमराह होकर गलत रास्ते पर चल पड़े हैं। इस गलतफहमी में पड़े नवयुवकों को समझाने-बुझाने और उन्हें रास्ते पर लाने का प्रयास बड़े पैमाने पर चल रहा है। उस राज्य की सरकार तो प्रयास कर ही रही है, केन्द्र भी उनको समझाने-बुझाने में संलग्न है। लेकिन ईसाइयों की बढ़त मामले को उलझा कर रख दिया है। आज के राजनीतिज्ञों पर विश्वास करना भी कठिन है। ये क्या हैं और क्या करना चाहते हैं, कुछ पता नहीं चलता। ये देश के सिर मौर कैसे बन गए, इनकी भारत में पैठ कैसे हो गई
3.प्राकृतिक आपदा एवं मानव जनित आपदा में अंतर सही उदाहरणों के साथ प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:-प्रकृति द्वारा लादी गई आपदाएँ प्राकृतिक आपदा कहलाती हैं। भूकम्प, सुनामी, बाढ़, सूखा, चक्रवात, ओला वृष्टि, हिमस्खलन, भूस्खलन जैसी आपदाएँ प्राकृतिक आपदा कहलाती हैं, जबकि नाभिकीय आपदा, रासायनिक आपदा, जैविक आपदा, आतंकी हमला, आगलगी जैसी घटनाएँ मानव जनित आपदाएँ कहलाती हैं। प्राकृतिक अपदा भूकंप से पृथ्वी कॉपती है और अनेक भवन धराशायी हो जाते हैं। इस कारण अनेक लोग उसमें दब जाते हैं। कहीं-कहीं जमीन फट जाती है और ऊपर बालू का दिर लग जाता है। ऐसे तो भूकंप आते-जाते ही रहते हैं लेकिन 1934 में आया भू्कंप बिहार के लिए विनाशकारी साबित हुआ था। अभी हाल में ही गुजरात प्रदेश के कच्छ क्षेत्र में ऐसा भू्कंप आया था कि त्राहिमाम मच गया था । वैसे ही सुनामी भी भूर्कंप ही है, जो समुद्र की तलहट्टी को हिला देता है । इससे समुद्री लहरें सैकड़ों मीटर ऊँची उठती हैं और आस-पास के जीवन को बहा ले जाती हैं। यह जमीन पर आए भूकंप से भी भयानकं होती है । बाढ़ स्थानीय आपदा है, जो नदी में एकाएक पानी बढ़ने से आती है। इसमें भी जान-माल का भारी नुकसान होता है। सूखा अवर्षण के कारण होता है और फसल मारी जाती है। चक्रवात एक प्रकार की ऑधी है जो घरों को उड़ा ले जाता है और पेड़ को उखाड़ देता है। ओला वृष्टि से फसल मारी जाती है। हिमस्खलन और भूस्खलन ऊँचे पहाड़ों पर होते हैं, जिनसे मानव जीवन खतरे में मानव जनित आपदाओं में नाभिकीय आपदा बहुत खतरनाक है, जिसे जापान एक बार भोग चुका हैं। इसका दुष्परिणाम पीढ़ियों तक भोगना पड़ता है। रासायनिक आपदा भी नाभिकीय आपदा से मिलता-जुलता है। जैविक आपदा भी रोसायनिक अपदा का भाई ही है। ये दोनों नए युद्ध अस्त्र हैं । आतंकी हमला में नुकसान होता है, लेकिन उतना नहीं ज़ितना उपर्युक्त अपदाओं से होता है। आगलगी मानव की गलती से ही होती है,
4. राष्टरीय आय की परिभाषा दें । इसकी गणना की प्रमुख विधियों कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर:-राष्ट्रीय आय की परिभाषा देने के पूर्व हम कुछ विख्यात अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई परिभापाओं को चिह्नित करेंगे । प्रो, अलप्रेड मॉर्शल ने कहा है कि “किसी देश की श्रम एवं पूँजी का देश के प्राकृतिक साधनों का उपयोग करने से प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का जो शुद्ध समूह उत्पन्न होता है, उसे राष्ट्रीय आय कहते हैं इसी प्रकार प्रो. पीगू ने राष्ट्रीय आय को परिभाषित करते हुए कहा है कि “राष्ट्रीय आय या राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वस्तुनिष्ठ अथवा भौतिक आय का वह भाग है, जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित होती है और जिसकी मुद्रा के रूप में माप हो सकती है । ऐसे ही अन्य कई अर्थशास्त्रियों ने अपनी-अपनी परिभाषाएँ दी हैं। लेकिन हम साधारण भाषा में साधारण रूप से राष्ट्रीय आय को परिभाषित करेंगे : देश की सम्पूर्ण श्रम शक्ति तथा पूँजी के सहयोग तथा देश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके जो भौतिक तथा अभौतिक उत्पादन होता है उसके मौद्रिक खूप में व्यक्त मूल्य को ‘राष्ट्रीय आय ‘ कहते हैं।