1.हिन्द-चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
Ans.हिंद-चीन में उपनिवेशिक सरकार की नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना व्याप्त हो गई जिसने राष्ट्रवाद का विकास किया। 1903 में फान बोई चाऊ ने एक क्रांतिकारी संगठन ‘हुई तान होई’ की स्थापना की। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The History of the loss of Viyatnam’ द्वारा वियतनाम की स्वतंत्रता की वकालत का फोन चू-त्रिन्ह ने गणतंत्रत्मक व्यवस्था की स्थापना की बात कही। वियतनाम के आरंभिक राष्ट्रवादियों ने ‘पूरब की ओर चलो’ आंदोलन चलाया। 1905 में जापान द्वारा रूस को पराजित करने से राष्ट्रवादियों को प्रेरणा मिली। 1911 की चीन क्रांति का भी उनपर व्यापक असर पड़ा। उन लोगों ने अनामी दल की स्थापना की। 1930 में वियतनामी राष्ट्रवादी आंदोलन और उग्र हो गया। हो-ची-मिन्ह के रूप में वियतनामियों को एक नया नेता मिला, जिसने संघर्ष को आगे बढ़ाया। हो-ची-मिन्ह साम्यवादी
विचारधारा से गहरे रूप से प्रभावित थे। 1925 में ही उन्होंने रूस में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया था। वियतनाम के राष्ट्रवादियों को संगठित कर उन्होंने 1930 में ‘वियतनामी कम्युनिष्ट पार्टी’ की स्थापना की। वियतनाम का स्वतंत्रता संघर्ष उन्हीं के नेतृत्व में चला। 2 सितम्बर, 1945 को हो-ची-मिन्ह की अध्यंक्षता में वियतनामी लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई। इस प्रकार पूरे हिन्द चीन में राष्ट्ववाद अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई।
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2.असहयोग आन्दोलन के कारण एवं परिणाम बताइए।
Ans.1920 ई॰ में गाँधीजी के द्वारा छेड़ा ग़या प्रथम जन आंदोलन असहयोग आंदोलन था। इस आंदोलन का प्रमुख कांरणों में रॉलेट एक्ट का पारित होना, जालियाँवाला बाग हत्याकांड तथा खिलाफत आंदोलन था।
कारण-
(i) भारतीय क्रांतिकारियों पर अंकुश लगाने के लिए मार्च 1919 में रॉलेट एवट बनाया गया। इसके अनुसार मात्र संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर, मुकदमा चलाकर जेल भेजा जा सकता है। भारतीयों ने इसे काला कानून बताते हुए इसका विरोध किया।
(ii) 13 अप्रैल, 1919 को वैशाखी मेले के अवसर पर अमृतसर के जालियांवाला बाग में एक सभा का आयोज़न किया गया। सभा के दौरान ही जनरल डायर ने निहत्ये भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया। इसमें सैकड़ों व्यक्ति मारे गए और अनेकों जख्मी हुए। इससे पूरा देश आक्रोशित और हतप्रभ हो गया।
(iii) प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात तुर्दी के सुलतान जो इसलामी जगत का खलीफा था, को शक्तिहीन बनाकर उसकी प्रतिष्ठा नष्ट कर दी गई। उसकी शक्ति को पुन: स्थापित करने के लिए अली बंधुओं ने खिलाफत आंदोलन चलाया। गाँधीजी इस आंदोलन को सत्य और न्याय पर आधृत मानंते थे।
इन सभी कारणों के कारण ही गाँधीजी ने 1 अगस्त, 1920 को असहयोग आंदोलन चलाया। परिणामः विदेशी वस्लों और सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार प्रभावशाली रहा। स्वदेशी की भावना बलवती हुई। खादी और चरखा का व्यवहार बढ़ गया। राष्ट्रीय शिक्षा के लिए काशी, बिहार वेद्यापीठ, जैसे प्रमुख संस्थाओं का निर्माण किया गया। आंदोलन में पहली बार विभिन्न वर्गों के लोगों ने इड़ी संख्या में भाग लिया। इससे कांग्रेस का जनाधार बढ़ गया। राष्ट्रवाद की भावना उत्तेजित हो गई।
3.ग्राम कचहरी की संरचना एवं कार्यों का वर्णन करें।
Ans.प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यायिक कार्यो को सम्पन्न करने कें लिए एक ग्राम-कचहरी का गठन किया जाता है। ग्राम-कचहरी के न्यायपीठ का निर्णय लिखित रूप में होता है और उसपर सभी सदस्यों का हस्ताक्षर होता है। ग्राम-कचहरी भारतीय दण्ड संहिता की अनेक धाराओं से संबंधित मुकदमों को देख सकती है। उसे फौजदारी और दीवानी दोनों मुकदमों की सुनवाई करने का अधिकार होता है। फैजदारी मुकदमों में ग्राम-कचहरी को अधिकतम तीन माह तक का साधारण कारावास तथा अधिकतम एक हजार रुपए तक का जुर्माना और उसका उल्लंघन होने पर अधिकतम पन्द्रह दिनों का साधारण कारावास देने का अधिकार है। दस हजार रुपए तक के दीवानी मुकदे सनने का भी अधिकार ग्राम-कचनरी को प्राप्त है।
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4.शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती क्यों है ?
Ans.अशिक्षा लोकतंत्र के लिए एक अभिशाप है। शिक्षा के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं कर सकते हैं। लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षा का होना बहुत जरूरी है। इसलिए अशिक्षा लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप है।
5.उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित त्रिस्तरीय न्यायिक प्रणाली की व्याख्या करें।
Ans.उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान अथवा उपभोक्ता विवादों के निपटारें हेतु सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रि-स्तरीय न्यायिक व्यवस्था है, जिसमें ‘जिला मंचों, ‘राज्य आयोग’ एवं राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई है।
त्रिस्तरीय अन्दू्यायिक व्यवस्था-यह न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बgू ने उपयोगी एवं व्यावहारिक है। इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को त्वरित एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है। पहले शिकायत जिला फोरम में की जाती है, अगर संतुष्ट नहीं है तो मामलों को ‘राज्य फोरम’ में फिर रांष्ट्रीय फोरम में ले जा सकता है। पुनः अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता है तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय (S.C.) में अपील कर सकता है।
6.मिश्रित अर्थव्यवस्था की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।
Ans.मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवादी तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था का मिश्रण है। मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व ससकार तथा निजी व्यक्तियों के पास होता है। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था है। यह अर्थव्यवस्था पूँजीवाद एवं समाजवाद के बीच का रास्ता है।
7.शक्ति संसाधनों के संरक्षण की दिशा में उठाये गये प्रयासों का ठल्लेख कीजिए।
Ans.ऊर्जा संकट एक विश्यव्यापी समस्या का रूप ले चुका है। इस परिस्थिति में समस्या के समाधान की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
(i) ऊर्जा के प्रयोग में मितव्ययिता – ऊर्जा संकट से बचने के लिए प्रथमतः ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययिता बरती जाया इसके लिए तकनीकी विकास आवश्यक है। अनावश्यक बिंजली का उपयोग रोककर हम ऊर्जा की बचत बड़े-स्तर पर कर सकते हैं।
(ii) ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की, खोज-ऊर्जा संकट समाधान की दिशां में परम्परागत ऊर्जा के नये क्षेत्रों का अन्वेशन किया जाय। इस दिशा में भारत में 1970 के बाद काफी तेजी आई है अरब-सागर, कृष्णा- गोदावरी क्षेत्र, राजस्थांन क्षेत्र में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के स़ोत प्राप्त हुए हैं।
(iii) ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग-वैकल्पिक ऊर्जा में पारम्परिक एवं गैरपारम्परिक दोनों ही ऊर्जा सम्मिलित हैं। इनमें से कुछ तो सतत् नवीकरणीय हैं तो कुछ समापनीय हैं। आज वैकल्पिक ऊर्जा में जल विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि का विकास हो रहा है।
(iv) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग-ऊर्जा संकट से बचने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। विश्र के सभी राष्ट्र आपसी भेद-भाव को भूलाकर ऊर्जा संकट समाधान हेतु आम सहमति से नीति निर्धारण करें, नहीं तो आनेवाले दिनों में यह विश्व के लिए दु:खदायी सिद्ध होगा। इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO), ऑर्गेनाइजेशन. ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कन्ट्रीज (OPEC), विश्व व्यापार संग्र:न (WIO), दक्षिण, एशियाई 8 देशों का संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
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8.भूखमरी की समस्या के निवारण के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई खाद्य सुरक्या प्रणाली की विवेचना कीजिए।
Ans.रोटी, कपड़ा और मकान यह हमारी मूलभूतं आवश्यकता है। भोजन के साथ-साथ पोषण प्राप्त करना यह सभी नागरिकों के लिए अंत्यंत आवश्यक है। हमारे देश के उन क्षेत्रों में जहाँ निर्धनता अधिक व्याप्त है वहाँ भुखमरी की समस्या है। इसके निवारण के लिए सरकार ने खाद्य सुरक्षा प्रणाली बनाई गई है। इसके मुख्यत: दो अंग हैं-
(i) बफर स्टॉक एवं
(ii) जन वितरण प्रणाली (P.D.S.)
इसके अंतर्गत सस्ती दरों पर आवश्यक सामग्री एवम् अनाज शहरों एवम् ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों को मुहैया कराई जाती है। इससे गरीब लोगों को भोजन सुलभ हो गया है। बफर स्टॉक बनाने में ( फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सक्रिय है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर यह किसानों से अनाज खरीद कर उसका भंडारण करती है।
उपभोक्ताओं को दो वर्गों में बाँटा गया है — गरीबी रेखा से नींे (Below Poverty Line, B.P.L.). और गरीबी रेखा से ऊपर (Above Poverty Line, A.P.L.) इन वर्गो में आने वाले लोगों के लिए चीजों की कीमतों से भिन्नता है। यह वर्गीकरण अपने आप में पूर्ण नहीं है। इसमें अनेक हकदार गरीब लोग BPL वर्ग में शामिल नहीं हो पाएँ हैं। और बहुत से लोग जो APL वर्ग के एकंदम अंतिम छोर पर हैं एक फसल बर्बाद होने पर BPL की श्रेणी में आ जाते हैं। किन्तु उनकी गिनती BPL श्रेणी में नहीं हुई है। प्रशासकीय दृष्टि से एकदम सही वर्गीकरण करने में कई व्यवहारिक कठिनाइयाँ हैं।