1.रोज पाठ का सारांश लिखें
रोज शीर्षक कहानी के रचियता आधुनिक हिंदी सहित के विद्वान श्री सच्चिदानंद हीरानंद अरोए द्वारा लिखी गई है। रोज अज्ञेयजी की बहुचर्चित कहानी है और इस कहानी में मध्यवर्ग भारीतय समाज में घरेलू स्त्री के जीवन और मनोदशा पर सहानभूति पूर्वक विचार किया है । घरेलू स्त्री के जीवन काम के अलावा कुछ रह जाता वह अपना सारा समय घर के कामों में निकाल देती है। कहानी आत्मकथ्य शैली में है और इसके प्रमुख पात्र लेखक और उसकी बहन मालती है। कहानी की शुरुआत अचानक से होती है। दोपहर को उस आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा , मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही है , उनकी आहट सुनकर मालती बाहर आई । अन्दर पहुँचकर लेखक ने पूछा वे यहाँ नहीं हैं उत्तर मिला अभी दफ्तर से नहीं आये हैं। मालती पंखा उठा लायी और ऊपर झूलाने लगी । यह कहानी विचित्र ढंग से प्रारम्भ होती है , मालती अतिथि से हालचाल भी नहीं पूछती । उसके व्यवहार में कर्त्तव्यपालन का भाव कुछ अधिक ही है । बचपन की बाबली , चंचल लड़की शादी के बाद इतनी बदल जाती है कि चुप्पी उसके चेहरे पर छा जाती है । उसका व्यक्तित्व भी बुझ सा गया है अतिथि का आगमन वहाँ कोई उल्लास का कारण नहीं है और अतिथि को भी वहाँ कोई छाया मैंडराती – सी दिखायी देती है । मौन छाये वातावरण को मालती का बच्चा भंग करता है । मालती उसको सँभालने चली जाती है । मालती लेखक की दूर के रिश्ते की बहिन थी । वह उसके साथ सखी रूप में रही. थी उनका सम्बन्ध ही ऐसा था । साथ खेलती , लड़ती , पिटते और पढ़ते भी साथ ही थे। लेखक चार वर्ष बाद उससे मिलने आया था । बच्चे का नाम लेखक ने पूछा तो पता चला नाम कोई खा नहीं , पर हम टिटी कहते हैं । लेखक को यह भी अखरता है कि मालती ने कोई बात नहीं की । कैसा हूँ यह भी नहीं पूछा लेखक ने एक बार प्रश्न किया, तुम्हें मेरे आने से विशेष प्रसन्नता नहीं हुई वह मात्र चौंक कर हूँ कहकर शान्त हो गयी । मालती का अन्तर्दवन्द्व , मानसिक स्थिति, बीते बचपन की स्मृतियाँ भटक गर्दी और संज्ञाहीनता की स्थिति मौजूद थी। थकान , सब्जी का अभाव , पानी समय पर नहीं आता यह भी परेशानी है उसका भी चित्रण है , नौकर भी नहीं मिलता मालती के पति दोपहर के तीन बजे और रात्रि के दस बजे भोजन करते हैं। मालती का जीवन रोज एक सा ही है पति का अधिकांश समय डिस्पेन्सरी में बीतता है या सोने में । यहाँ मालती की आन्तरिकता को भली प्रकार उभारा गया है, जिसमें लेखक को सफलता भी मिली है। उसके पति का आगमन होता है । लेखक ने उनको पहली बार देखा था। दोनों का परिचय हुआ उनका नाम था महेश्वर वे एक सरकारी अस्पताल में चिकित्सक थे। उनकी अस्पताल की जिन्दगी की भी चर्चा है। उनकी रूटीन पर ही दोनों में वार्तालाप होता रहा । खाना आ गया। लेखक ने मालती से पूछा तुम नहीं खाओगी , उत्तर महेश्वर ने दिया , वह पीछे खाया करती है । महेश्वर और अतिथि बाहर पलंग पर बैठकर अनौपचारिक वार्तालाप करते रहे मालती बर्तन माँजती है, बच्चा बार बार पलंग से गिर जाता है । मालती तीखी प्रतिक्रिया दिखाती है, आभास होता है कि वह यह बताना चाहती है कि वह बर्तन मॉजे या बच्चा सँभाले , यह कहानी नारी की विषम स्थिति पर गहरी छाया डालती है। कहानी का अन्त भी करुण है। ग्यारह का घण्टा बजता है , मालती कहती है ग्यारह बज गए यह उसकी गहरी निराशा का भाव है, रोज ही यह होता है। एक घटना और भी महत्वपूर्ण है । महेश्वर कुछ आम लाये थे जो अखबार में लिपटे थे। महेश्वर उन्हें धोने को कहते हैं । मालती उस अखबार के टुकड़े को पढ़ती है , यह बताता है कि मालती की जिन्दगी एक दायरे में सिमट गयी है वह अखबार भी नहीं पढ़ सकती यहाँ यह भी तड़प व्यजित है कि वह बाहरी दुनियादारी से मिलना चाहती है
2. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा अपने शब्दों में लिखिये।
उत्तर-मालती के घर का वातावरण ऐसा था जिस पर कोई छाया मॅडरा रही थी, यंत्र की तरह दिनचर्या , उदास उदास थका थका तन , जिसमें उल्लास, आनन्द की एक किरण भी नहीं इतना प्रिय अतिथि आया फिर भी मालती का मन खिला नहीं, बुझा – बुझा ही रहा । वह उससे कुछ बात भी नहीं करती , उल्टे उसके प्रश्नों का उत्तर भी अति संक्षिप्त देती है मानो रस्म अदायगी हो। लेखक स्वयं मानता है कि चहकने वाली लड़की व्यक्तित्व कुछवर्षों में बुझ सा गया है।
3. दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा मानो उस पर किसी शाप को छाया मंडरा रही हो
उत्तर -लेखक अपने दूर के रिश्तेदार की बहिन के यहाँ आया था । यह वही बहन थी जिसके साथ उसका बचपन बीता था वह लेखक की सखी अधिक थी , साथ खेलना लड़ना झगड़ना, साथ पढ़ना व्यवहार से स्वच्छता , चंचलता गुमसुम पर आज मात्र औपचारिक वार्ता शादी के बाद औरत इतनी बदल जाती है कि वह अपने भाई , सखा और अतिथियों के आगमन पर जरा भी उल्लास नहीं दिखा पाती । उसका वार्तालाप भी नीरस है , मात्र प्रश्न के उत्तर देती है , यह भी नहीं पूछती कैसे हो उसका यान्त्रिक जीवन और मौन बताता है वह कुछ सह रही है , भोग रही है । । यही स्थिति यह ध्वनित करती है कि घर पर कोई छाया मँडरा रही है।
4. लेखक और मालती के सम्बन्ध का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-लेखक मालती का दूर का भाई है पर बचपन में इनका सम्बन्ध सख्य का था । एक साथ रहते थे , खेलते थे, लड़ते थे, साथ साथ पिटते भी थे । लेखक का अध्ययन भी मालती के साथ ही हुआ था