1.कड़बक पाठ का सारांश लिखें|
कवि मलिक मुहम्मद जायसी कड़बक के प्रथम खंड में कहते है जिसमे कवि कहते कि वह एक जैन के होते हुए भी गुणवान है। उनकी कवि-वाणी में वह प्रभाव है कि जो भी उनकी काव्य को सुनता है वह मोहित हो जाता है। कवि कहते है कि जिस प्रकार इश्वर ने संसार में सदोष लेकिन प्रभायुक्त (दीप्तिमान) चन्द्रमा को बनाया है, उसी प्रकार प्रकार जायसी की कीर्ति उज्जवल थी लेकिन उनमें अंग-भंग दोष था कवि कहते है कि वह समदर्शी थे क्योंकि उन्होंने संसार को हमेशा एक ही आंख से देखा उनका वह आँख दुसरे मनुष्यों के आँखों के तुलना में ठीक उस प्रकार तेज था जिस प्रकार तारागण के बीच उदित हुआ शुक्रतारा कवि कहते है कि जब तक आम के मंजरी में कोइलिया नहीं होता तब तक वह मधुर सौरभ से सुवासित नहीं होता समुन्द्र का पानी खारा है इसलिए ही वह असूझ और अपार है। सुमेरु पर्वत के स्वर्णमय होने का एकमात्र कारण यही है कि वह शिव-त्रिशूल द्वारा नष्ट किया गया है जिसके स्पर्श से वह सोने का हो गया जब तक घरिया (सोना गलाने वाला पात्र) में कच्चा सोना गलाया नहीं जाता तब तक वह कच्ची धातु चमकदार सोना नहीं होता कवि अपने सम्बन्ध में गर्व से लिखते हुए कहते हैं कि वे एक आँख के रहते हुए भी दर्पण के समान निर्मल और उज्जवल भाव वाले हैं। सभी रूपवान व्यक्ति उनका पैर पकड़कर अधिक उत्साह से उनके मुख की ओर देखा करते हैं यानी उन्हें नमन करते है। कड़बक के दुसरे खंड में कवि कहते है कि मैंने इस कथा को जोड़कर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ इस कविता को मैंने रक्त की लाइन लगाकर जोड़ा है और गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगो-भिगोकर गीली किया है। मैंने यह विचार करके निर्माण किया कि यह शायद मेरे मरने के बाद संसार में मेरी यादगार के रूप में रहे वह राजा रत्नसेन अब कहां कहां है वह सुआ जिसने राजा रत्नसेन के मन में ऐसी बुद्धि है उत्पन्न की कहां है सुल्तान अलाउद्दीन और कहां है वह राघव चेतन जिसने अलाउद्दीन के सामने पद्मावती का रूप वर्णन किया। कहां है वह लावण्यवती ललना रानी पद्मावती कोई भी इस संसार में नहीं रहा केवल उनकी कहानियां बाकी बची है। वह पुरुष वह पुरुष धन्य है जिसकी कीर्ति और प्रतिष्ठा इस संसार में है उसी तरह रह जाती है जिस प्रकार उसके मुरझा जाने पर भी उसका सुगंध रह जाता हैइस संसार में यश ना तो किसी ने बेचा है और ना ही किसी ने खरीदा है कवि कहते हैं कि जो मेरे कलेजे के खून से रचित कहानी को पढ़ेगा वह हमें दो शब्दों में याद रखेगा
2. जायसी अपने कड़बक में कलंक कांच और कंचन के माध्यम से क्या कहना चाहते हैं
उत्तर-जायसी ने कलंक, कांच और कंचन के माध्यम से निम्न अर्थ व्यक्त किया है काले धब्बे के कारण चंद्रमा कलंकित भले ही हो किंतु वह अपने प्रकाश में उस धब्बे को
छिपा लेता है उसी प्रकार गुनीजनों की कीर्ति के प्रकाश में उनके एकाध दोष छिप जाते हैं। शिव के त्रिशूल द्वारा प्रहार किए जाने पर सुमेरु पर्वत कंचन का हो गया उसी प्रकार सज्जनों की संगीत से दुर्जन भी श्रेष्ठ मानव बन जाता है। घरिया में डालकर कांच जब तपाया जाता है तभी उसमें छिपा सोना निकलता है ठीक इसी प्रकार इस संसार में मानव संघर्ष, कष्ट, तपस्या, त्याग से ही श्रेष्ठता प्राप्त कर पाता है अर्थात कुछ पाने के लिए पहले घरिया में तपना पड़ता है, गला पड़ता है
3. रकत के लेई का क्या अर्थ है
उत्तर-कविवर जायसी कहते है कि मैंने इस कथा को जोड़कर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ। इस कविता को मैंने रक्त की लाइन लगाकर जोड़ा है और गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगो-भिगोकर गीली किया है।
4. मुहमद यहि जोरि सुनावा! यहाँ कवि ने जोरि शब्द का पयोग किस अर्थ में क्या है
उत्तर- मुहमद यहि जोरि सुनावा में जोरि शब्द का प्रयोग कवि ने रचकर अर्थ में किया है अर्थात मैंने यह काव्य रचकर सुनाया है।