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Social Science Class 10th Important Subjective Question Answer Bihar Board 2023 || Social Science 10th Ka VVI Subjective Question Answer

Social Science Class 10th Important Subjective Question Answer Bihar Board 2023 || Social Science 10th Ka VVI Subjective Question Answer

1. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करती है?

उत्तर:- निम्नलिखित बातों से ज्ञात होता है कि लोकतंत्र उत्तरदायी और वैध सरकार का गठन करती हैं।

(i) उत्तरदायी सरकार:- लोकतंत्र में सांसद या विधायक जनता द्वारा चुना जाता है, उन्हें इसी बात का सोचना पड़ता है कि हमें 5 वर्ष पूर्व उन्हें मतदाताओं के पास जाना है। इसी कारण वे अपने पर उत्तरदायित्व महसूस करते हैं। इसी कारण जो भी सरकार गठित होती है उसे उत्तरदाई सरकार कहते हैं। उसे अपना हर काम का जवाब विरोधी दल के सांसदों को देना पड़ता है। यदि वह सदन में कोई अन्य प्रश्न पूछे तो उत्तरदायी सरकार ही अधिक से अधिक जवाब देती है। एक तो सांसद या विधायक शपथ लेकर चुनाव लड़ते हैं कि हमें जनता की भावनाओं के अनुसार काम करना है। भले ही कुछ सांसद या विधायक जीतने के बाद अपना शपथ को भूल जाते हैं, लेकिन विरोधी दल उन्हें भूलने नहीं देते हैं। प्रश्न- पर-प्रश्न पूछकर वे सरकार की नाक में दम कर के रख देते हैं। इसी प्रकार सरकार को उत्तरदायी बनना पड़ता है।

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(ii) वैध सरकार:- लोकतंत्र में सभी काम सरकार के संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार होता है। सरकार के गठन के बाद वह जो भी काम करती है वह संवैधानिक नियमों उप नियमों के अनुसार होते हैं। यदि सरकार कोई अवैध काम करती है तो संभव है उसे न्यायपालिका का सामना करना पड़े। सरकार के कामों पर नजर रखने के लिए न्यायपालिका सदैव सतर्क रहती है। यदि सरकार कोई अवैध काम करती है, तो कोई भी न्यायपालिका के शरण में जा सकता है और न्यायपालिका उस काम को अवैध ठहरा कर सरकार को सही राह पर आने की मजबूर कर देती सरकार को न्यायपालिका का डर से तो सताते रहता है। इस प्रकार लोकतंत्र में वैध सरकार का गठन होता है।

 

2. भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है?

उत्तर:- भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है। यह एक विचित्र बात है, कौन कहता है कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता है। विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां लोकतंत्र में अभी कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई है । जब से भारतीय संविधान लागू हुआ है तब से ठीक समय पर चुनाव होते रहता है। इसके विपरीत दूसरों देशों में सैनिक शासन का सामना करना पड़ता है। कुछ दिन सैनिक शासन रहने के बाद चुनाव होता है। जब तुला होता है तो लड़ाई झगड़ा इत्यादि का सामना करना पड़ता है, जिसके जिम्मेदार सरकार बनती है।

भारत में लोकतंत्र के आगे कुछ समस्या है। जो नेताओं पर निर्भर करती है। चुनाव जीतने के बाद यह नेता अपने को राजतंत्र समझने लगते हैं। भारतवर्ष में सबसे अधिक गिलौला रूप कांग्रेस वालों में दिखाई देती है। पार्टी हो या देश जब तक नेहरू जी जीवित रहे तब तक पार्टी और सरकार दोनों को अपने मुट्ठी में रखें रहे। नेहरू जी की मृत्यु के बाद उन दोनों पदों पर इंदिरा गांधी जी आ गई। बीच में लाल बहादुर शास्त्री आए, उनको रास्ते से किस तरह हटाया गया किसी से छुपाया नहीं किया। सीताराम केसरी को किस प्रकार कांग्रेस के अध्यक्ष से हटाया गया इसे भी सभी लोग जानते हैं। पता नहीं यार कांग्रेसी वालों को क्या हो गया है कि वे सब बर्दाश्त करते हैं या करना पड़ता है। यदि यह बीमारी देश से दूर हो जाए, तो निश्चित ही भारतवर्ष में लोकतंत्र सफल हो सकता है।

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3. उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं? औद्योगिकरण ने उपनिवेशवाद को जन्म दिया” कैसे?

उत्तर:- जब कोई देश अपनी सैनिक शक्ति के बल पर अन्य देश पर कब्जा कर वहां से आसन करने लगता है तो इस पद्धति को उपनिवेशवाद कहते हैं। जैसा कि ब्रिटेन द्वारा भारत पर अधिकार जमा लेना, फ्रांस द्वारा हिंद चीन पर अधिकार जमा लेना इत्यादि । औद्योगिकरण उपनिवेशवाद को जन्म नहीं दिया, बल्कि उपनिवेशवाद ने औद्योगीकरण को जन्म दिया। हमारे भारत देश में कम से कम यही सही है। भारत में अंग्रेज ने सबसे पहले अधिकार जमाया और इंग्लैंड में औद्योगिकरण के बाद हुआ। एशिया महादेश के साथ- साथ अफ्रीकी देशों में भी यही कहना सही है। वास्तव में यह कहना सही है कि औद्योगीकरण की सफलता के बाद उपनिवेशवादों की लड़ाई-झगड़ा, छीना झपटी इत्यादि की घटनाएं ज्यादातर बढ़ने लगी। जहां उपनिवेशवादी एक मजदूर किसान थे वहां उन्होंने अपने को और ज्यादा मजबूत करने का प्रयास किया और किया भी। वह अपने विरोधियों को कमजोर करने में लगे रहे। असल में यूरोप राष्ट्रवाद के मद में इतना अंधा हो चुका था कि जिस राष्ट्र के पास उपनिवेश नहीं था उसे हिन दृष्टी से देखा जाता था और जिन राष्ट्र के पास बड़े-बड़े उपनिवेश था उसे आदर की दृष्टि से देखा जाता था। जिस राष्ट्र के पास उपनिवेश कम था उसे सामान्य दृष्टि से देखा जाता था। हर एक यूरोपीय देश उपनिवेश सुख की खोज में एकदम पागल बना हुआ था।

 

4. अर्थव्यवस्था की संरचना से क्या समझते हैं? इन्हें कितने भागों में बांटा गया है?

अर्थव्यवस्था की संरचना:- अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएं होती है। जैसे:- कृषि उद्योग व्यापार बैंकिंग बीमा परिवहन संचार इत्यादि । अर्थव्यवस्था की संरचना को मुख्यतः तीन क्षेत्रों में बांटा गया है। (i) प्राथमिक क्षेत्र (ii) द्वितीयक क्षेत्र (iii) तृतीयक क्षेत्र

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(i) प्राथमिक क्षेत्र:- प्राथमिक क्षेत्र को कृषि क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन इत्यादि आते हैं। यह ग्रामीणों के जीवन के आधार है।

 

(ii) द्वितीयक क्षेत्र:- द्वितीयक क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत वस्तुओं का उत्पादन करना, पेट्रोलियम तेल तथा गैस निकालने के साथ-साथ बिजली उत्पादन का भी काम होता है।

 

(iii) तृतीयक क्षेत्र :- तृतीयक क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत बैंकिंग के काम, बीमा, परिवहन के साधन व्यापार या नौकरी इत्यादि आते हैं। अध्यापक, जो विद्यालय पढ़ाते हैं वह भी सेवा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है।

 

5. गेहूँ उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें?

उत्तर:- गेहूँ उत्पादन के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाएँ इस प्रकार है__

(i) गेहूँ को बोते समय 10° (डिग्री) का तापमान और काटते समय 15° (डिग्री) का तापमान होना आवश्यक है।

(ii) गेहूँ की उपज के लिए 50 सेमी से 75 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है।

(iii) गेहूँ की उपज के लिए दोमट जलोढ़ मिट्टी आवश्यक होती है।

(iv) गेहूँ को पढ़ते समय खिली धूप की आवश्यकता होती है।

 

उत्पादक क्षेत्र:- गेहूँ एक कटिबंधीय पौधा है। देश में कुल गेहूँ उत्पादन का 2/3 हिसाब पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से प्राप्त किया जाता है। देश का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादन राज्य उत्तर प्रदेश है, जहाँ देश का 1/3 भाग गेहूँ पैदा किया जाता है। इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में गेहूँ की खेती की जाती है।

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6. परिवारवाद एवं जातिवाद का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा है ? उल्लेख करें।

उत्तर:- बिहार के लोकतंत्र में जातिवाद, क्षेत्रवाद, परिवारवाद जैसी बुराइयाँ है। परिवारवाद के चलते राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है। ऐसी परिस्थिति में भारतीय लोकतांत्रिक राजनीति को सुदृढ़ बनाने के लिए कुछ लोग कानून का निर्माण कर रहे हैं। इसे साफ-सुथरा बनाने की बात करते हैं। परंतु समस्या है कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का समाधान केवल कानून बनाने से नहीं होगा।

 

प्रश्न 7. दल-बदल कानून क्या है? 

उत्तर:- अपनी दलों को छोड़कर दूसरे दलों की सदस्यता ग्रहण करना दल-बदल कहलाता है। यह नियम सांसदों और विधायकों पर लागू होता है, क्योंकि यह ज्यादातर दलों की अदला-बदली करते हैं। इन्हीं सब को रोकने के लिए दल-बदल कानून बनाया गया।

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प्रश्न 8. लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- लोकतंत्र व शासन प्रणाली है, जिसमें जनता अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है और चुने हुए प्रतिनिधि एक सरकार का निर्माण करती है। लोकतंत्र “जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है। यह कथन अब्राहम लिंकन का है।

 

प्रश्न 9. क्या शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है?

उत्तर:- हाँ, शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है, क्योंकि शिक्षा के कारण ही मतदाता ना तो अपने अधिकारों को समझ पाते हैं और न ही अपने कर्तव्य को समझ पाते हैं। शिक्षा के कारण वोट देने में भी असमर्थ हो जाते हैं कि किसको वोट देना अच्छा रहेगा।

 

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